Untitled

दूर ऽऽ
लकदक पहाड़ियों से घिरी
नीलाभ झील पर
पसरा है
मुलायम सन्नाटा

स्पन्दित कर दिया
अचानक
उसका रोम-रोम
रिमझिम फुहारों ने

ऎसे में
लगती है कितनी सुहानी
झील की
थरथराती साँवली देह ।

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