चक्रव्यूह में फंसी बेटी

(1)
बर्फीली सर्दी में नवजात बेटी को,
जो छोड़ देते झाड़ियों में निराधार।
वे बेटी को अभिशाप समझते,
ऐसे पत्थर दिलों को धिक्कार।
(2)
जो कोख में ही कत्ल करके भ्रूण,
मोटी कमाई का कर रहे व्यापार।
निर्दयी माता-पिता फोड़े की तरह,
गर्भपात करवाकर बन रहे खूंखार।
(3)
सृजन की देवी के प्रति मेरे स्नेहभाव,
घर मे खुशहाली सी छाई है।
इक नन्ही सी सुकोमल गुड़िया,
नवकली मेरे सुने घर मे आई है।
(4)
इस नन्ही बिटिया को शिक्षित करके,

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